शीर्षक - मशहूर मुस्कान
लेखिका - गीता धर्मराजन
चित्रकार - राशिन खैरियेह
प्रकाशक - कथा
'मशहूर मुस्कान', 'कथा' द्वारा प्रकाशित किताब है जिसमें एक महत्त्वपूर्ण सन्देश बहुत ही सहज रूप में व्यक्त किया गया है. यह एक प्रमाणित सत्य है कि बच्चों के कोमल ह्रदय को जानवरों की कहानियाँ बहुत लुभाती हैं. अगर कोई भी बात समझाने का माध्यम कोई चार पैरों वाला प्राणी बन जाए तो नन्हे बच्चे उसे खूब चाव से सुनते और समझते हैं. पशुओं के प्रति इस प्राकृतिक आकर्षण को अनेक कहानीकारों ने बखूभी इस्तेमाल किया है. मशहूर मुस्कान कहानी भी इसी का एक उदाहरण है. इस कहानी के माध्यम से दन्त सुरक्षा और दन्त शोभा का सन्देश बच्चों तक पहुंचाया गया है.
इस कहानी में अगर मगर एक ऐसा मगरमच्छ है जो अपने दाँतो के प्रति ख़ास सजग है. वह मेहनत से और पूरी लगन से नीम की पतली शाखाओं से रोज़ अपने दाँतो को साफ़ करता है. फिर एक मधुर मुस्कान अपने चेहरे पर सजा कर वह नदी किनारे इस उम्मीद में बैठ जाता है कि जो भी उस तरफ से गुज़रेगा, वह उसके दाँतो की चमक से प्रभावित हुए बिना न रह पायेगा. उसके दांत हैं ही इतने खूबसूरत और दूध की तरह सफ़ेद कि अगर-मगर का उन पर गर्व करना बहुत ही स्वाभाविक है.
वह कुछ छोटी मछलियों से मिलता है और उन्हें हंस कर अपने पास बुलाने कि कोशिश करता है. पर मछलियों को अपनी जान प्यारी है. कौन तेज़ धार दांतों वाले मगरमच्छ के पास जा कर उस से दोस्ती करना चाहेगा? वे सब जान बचा कर वहाँ से भाग निकलती हैं . इसके बाद अगर मगर जंगल के अन्य जानवरों से भी मिलता है - पर बन्दर हों चाहे बाघ, कोई भी अगर मगर के दांतों पर ध्यान नहीं देता. थोड़ी सी प्रशंसा के लोभ में अगर मगर यहां से वहाँ घूमता रहता है. कहाँ मिलेगा उसे उसके दांतों का सही प्रशंसक जो यह समझ पाये कि उसके पास दांतों के रूप में कितनी बड़ी निधि है? बस उन कुछ तारीफ़ भरे शब्दों की तलाश में है अगर मगर. क्या उसकी यह तलाश कभी पूरी हो पाएगी? क्या उसके दांतों को वह सम्मान मिल पायेगा जिसके वे हक़दार हैं? पढ़िए और पता लगाइये कि अगर मगर अपने चमकीले दाँतो के साथ मशहूर हो पाया या नहीं.
यह कहानी एक उच्च स्तरीय ख़ूबसूरत कल्पना को दर्शाती है. यह कथाकार की कल्पना ही तो है कि कठोर चमड़ी वाले मगरमच्छ को इतने प्यारे अवतार में प्रस्तुत किया गया है. एक छोटे बच्चे की तरह अगर मगर सबका ध्यान आकर्षित करने में अपना पूरा समय व शक्ति लगा देता है. उसे इंतज़ार है तो बस इस बात का कि कोई उसके दांतों को देखे और उन से प्रभावित हो. वह अपनी मेहनत को मान्यता प्राप्त करवाना चाहता है. उसकी इस लगन को छोटे पाठक बहुत चाव से पढ़ेंगे व समझेंगे.
कथाकार गीता धर्मराजन एक ऐसी लेखिका हैं जो कोमल हृदयी पाठकों को खूब पहचानती हैं और उनकी कलम से निकली यह कहानी इसीका प्रमाण है. रशिनं के द्वारा बनाये चित्र कहानी में जान डाल रहे हैं और चित्रों के साथ कहानी को पढ़ने का मज़ा चौगुना हो जाता है.

चित्रकार - राशिन खैरियेह
प्रकाशक - कथा
'मशहूर मुस्कान', 'कथा' द्वारा प्रकाशित किताब है जिसमें एक महत्त्वपूर्ण सन्देश बहुत ही सहज रूप में व्यक्त किया गया है. यह एक प्रमाणित सत्य है कि बच्चों के कोमल ह्रदय को जानवरों की कहानियाँ बहुत लुभाती हैं. अगर कोई भी बात समझाने का माध्यम कोई चार पैरों वाला प्राणी बन जाए तो नन्हे बच्चे उसे खूब चाव से सुनते और समझते हैं. पशुओं के प्रति इस प्राकृतिक आकर्षण को अनेक कहानीकारों ने बखूभी इस्तेमाल किया है. मशहूर मुस्कान कहानी भी इसी का एक उदाहरण है. इस कहानी के माध्यम से दन्त सुरक्षा और दन्त शोभा का सन्देश बच्चों तक पहुंचाया गया है.
इस कहानी में अगर मगर एक ऐसा मगरमच्छ है जो अपने दाँतो के प्रति ख़ास सजग है. वह मेहनत से और पूरी लगन से नीम की पतली शाखाओं से रोज़ अपने दाँतो को साफ़ करता है. फिर एक मधुर मुस्कान अपने चेहरे पर सजा कर वह नदी किनारे इस उम्मीद में बैठ जाता है कि जो भी उस तरफ से गुज़रेगा, वह उसके दाँतो की चमक से प्रभावित हुए बिना न रह पायेगा. उसके दांत हैं ही इतने खूबसूरत और दूध की तरह सफ़ेद कि अगर-मगर का उन पर गर्व करना बहुत ही स्वाभाविक है.
वह कुछ छोटी मछलियों से मिलता है और उन्हें हंस कर अपने पास बुलाने कि कोशिश करता है. पर मछलियों को अपनी जान प्यारी है. कौन तेज़ धार दांतों वाले मगरमच्छ के पास जा कर उस से दोस्ती करना चाहेगा? वे सब जान बचा कर वहाँ से भाग निकलती हैं . इसके बाद अगर मगर जंगल के अन्य जानवरों से भी मिलता है - पर बन्दर हों चाहे बाघ, कोई भी अगर मगर के दांतों पर ध्यान नहीं देता. थोड़ी सी प्रशंसा के लोभ में अगर मगर यहां से वहाँ घूमता रहता है. कहाँ मिलेगा उसे उसके दांतों का सही प्रशंसक जो यह समझ पाये कि उसके पास दांतों के रूप में कितनी बड़ी निधि है? बस उन कुछ तारीफ़ भरे शब्दों की तलाश में है अगर मगर. क्या उसकी यह तलाश कभी पूरी हो पाएगी? क्या उसके दांतों को वह सम्मान मिल पायेगा जिसके वे हक़दार हैं? पढ़िए और पता लगाइये कि अगर मगर अपने चमकीले दाँतो के साथ मशहूर हो पाया या नहीं.
यह कहानी एक उच्च स्तरीय ख़ूबसूरत कल्पना को दर्शाती है. यह कथाकार की कल्पना ही तो है कि कठोर चमड़ी वाले मगरमच्छ को इतने प्यारे अवतार में प्रस्तुत किया गया है. एक छोटे बच्चे की तरह अगर मगर सबका ध्यान आकर्षित करने में अपना पूरा समय व शक्ति लगा देता है. उसे इंतज़ार है तो बस इस बात का कि कोई उसके दांतों को देखे और उन से प्रभावित हो. वह अपनी मेहनत को मान्यता प्राप्त करवाना चाहता है. उसकी इस लगन को छोटे पाठक बहुत चाव से पढ़ेंगे व समझेंगे.
कथाकार गीता धर्मराजन एक ऐसी लेखिका हैं जो कोमल हृदयी पाठकों को खूब पहचानती हैं और उनकी कलम से निकली यह कहानी इसीका प्रमाण है. रशिनं के द्वारा बनाये चित्र कहानी में जान डाल रहे हैं और चित्रों के साथ कहानी को पढ़ने का मज़ा चौगुना हो जाता है.