Saturday, July 23, 2016

Mouthpiece #31


एक श्रद्धांजलि (a tribute…)

बैठी हूँ चिंतन में एक और समय के पड़ाव पर,
देख रही हूँ उम्र के एक और सावन को बीतते हुए |
अब की बार तपते मन को शीतल नहीं कर पाया है ये
सूने मन को अपनेपन से सराबोर नहीं कर पाया है ये |

continue here...

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